पूजा से संबंधित रोचक तथ्य(33)

कहा जाता है कि एक बार 89 हज़ार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने का रहस्य पूछना चाहा। तब ब्रह्माजी ने समझाया कि जितना प्रसन्न शिव सौ कमल चढ़ाने से होते हैं, उतना ही एक नीलकमल से भी हो जाते हैं। हज़ार नीलकमल चढ़ाने का पुण्य एक बेलपत्र के समान तथा हज़ार बेलपत्रों का फल एक शमीपत्र चढ़ाने से मिल जाता है।

श्रावण मास में शिव की भक्ति के साथ-साथ श्रीकृष्ण की आराधना का भी विशेष महत्त्व बताया गया है। मान्यता है कि श्रावण कृष्ण पक्ष की अष्टमी से लेकर भादो कृष्ण पक्ष की अष्टमी (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) तक जो भक्त निरंतर कृष्ण का स्मरण या पूजा करता है, उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा कहा जाता है कि इस महीने में श्रीकृष्ण अत्यंत प्रसन्न रहते हैं और अपने भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण करते हैं।

शास्त्रों के अनुसार, सावन माह में भगवान विष्णु योगनिद्रा में चले जाते हैं, जिसे ‘चौमासा’ कहा जाता है, और इस दौरान पूरी सृष्टि की ज़िम्मेदारी शिवजी संभालते हैं। इसी कारण सावन में शिव का पूजन अत्यंत फलदायी माना गया है। भक्त इस महीने जल, बेलपत्र और अन्य सामग्रियों से महादेव की अर्चना करते हैं, जिससे उन्हें सुख-सौभाग्य प्राप्त होता है।

हिन्दू धर्म में गृह निर्माण से पहले मकान की नींव में चांदी के सर्प को प्रतिष्ठित किया जाता है, यह कर्मकांड इसलिये किया जाता है क्योंकि हिन्दू धर्म में ऐसा माना गया है कि क्षीरसागर में रहने वाले शेषनाग नें अपने फन पर पृथ्वी को धारण कर रखा है। इस पूजन में कलश में दूध, दही, घी डालकर मंत्रों से आह्वान पर शेषनाग को बुलाया जाता है और उनसे विनती की जाती है कि जिस प्रकार उन्होंने पूरी धरती का भार अपने फन पर धारण किया हुआ है उसी प्रकार इस घर की नींव भी चांदी के नाग के फण पर पूरी मजबूती के साथ स्थापित रहे।

शास्त्रों में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने घर के पास एक पीपल, एक नीम, दस इमली, तीन कैथ, तीन बेल, तीन आंवला और पाँच आम के पेड़ लगाता है, वह पुण्यात्मा कहलाता है। ऐसा इंसान कभी नरक के दर्शन नहीं करता। मान्यता है कि इन पेड़ों का न केवल पर्यावरण-संतुलन में योगदान है, बल्कि धार्मिक दृष्टि से भी ये बेहद शुभ माने गए हैं।