भक्ति एवं धर्म से संबंधित रोचक तथ्य(33)

आदि काल से मनुष्य धन से सम्पन्न होने हेतु एवं अपने धन की रक्षा हेतु, यक्षों की आराधना करते हैं, भिन्न-भिन्न यक्षों की प्राचीन पाषाण प्रतिमायें भारत के विभिन्न संग्रहालयों में सुरक्षित हैं, जो खुदाई से प्राप्त हुई हैं। तंत्र-ग्रंथों में यक्षिणी तथा यक्ष साधना से सम्बंधित विस्तृत विवरण प्राप्त होते हैं।

नदी किनारे या श्मशान स्थित बिल्व वृक्ष के निचे, चांडाल के मृत देह के ऊपर बैठकर, उत्तर दिशा की ओर प्रवाहित होने वाली नदी को वीर साधना में सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण बताया गया हैं। वीरों के विषय में सर्वप्रथम पृथ्वीराज रासो में उल्लेख है, वहां इनकी संख्या 52 बताई गई है। इन्हें भैरवी के अनुयायी या भैरव का गण कहा गया है।